हिन्दू संस्कृति हिन्दुस्तान की प्राणवायु है। अतः स्पष्ट है कि यदि हिन्दुस्थान की रक्षा करनी है तो पहले हमें हिन्दू संस्कृति का पोषण करना होगा। यदि हिन्दुस्थान में ही हिन्दू संस्कृति नष्ट हो जाती है, और यदि हिन्दू समाज का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, तो केवल शेष रह जाने वाली भौगोलिक इकाई को हिन्दुस्थान कहना शायद ही उचित होगा। मात्र भौगोलिक गांठ से राष्ट्र नहीं बनता। समूचे समाज को इतनी सजग और संगठित स्थिति में होना चाहिए कि कोई भी हमारे सम्मान के बिंदुओं पर बुरी नजर डालने की हिम्मत न करे। (baudhdhikvibhag)
शक्ति, यह याद रखना चाहिए, संगठन के माध्यम से ही आता है। इसलिए यह प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य है कि वह हिंदू समाज को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करे। संघ केवल इस सर्वोच्च कार्य को अंजाम दे रहा है। देश का वर्तमान भाग्य तब तक नहीं बदल सकता जब तक कि लाखों युवा अपना पूरा जीवन उस कार्य के लिए समर्पित न कर दें। हमारे युवाओं के मन को उस लक्ष्य की ओर मोड़ना संघ का सर्वोच्च उद्देश्य है। (baudhdhikvibhag)
